Detailed Notes on Shodashi

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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

ऐं क्लीं सौः श्री बाला त्रिपुर सुंदरी महादेव्यै सौः क्लीं ऐं स्वाहा ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं ॐ ह स क ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥

यत्र श्री-पुर-वासिनी विजयते श्री-सर्व-सौभाग्यदे

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

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देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

केयं कस्मात्क्व केनेति सरूपारूपभावनाम् ॥९॥

Her narratives frequently emphasize her job from the cosmic battle towards forces that more info threaten dharma, thus reinforcing her place as a protector and upholder with the cosmic purchase.

The one that does this Sadhana will become like Cupid (Shodashi Mahavidya). He is converted into a wealthy, preferred amid women and blessed with son. He receives the standard of hypnotism and achieves the self electric power.

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